भारत और चीन के रिश्ते किस तरफ जा रहें हैं यह बात किसी से भी छुपी हुई नहीं हैं. भारत और चीन के रिश्ते खराब होने के चलते भारत को नुक्सान उठाने के लिए कुछ भी नहीं था और चीन का लगभग सबकुछ दांव पर लगा हुआ था. इसी का फायदा उठाते हुए मोदी सरकार ने भारतीय बाजार को आगे बढ़ने का अवसर दिया और चीन के साथ आर्थिक युद्ध छेड़ दिया.
आर्थिक युद्ध तो चीन के खिलाफ शुरू हुआ लेकिन भारत के वामपंथी और कांग्रेस के प्रवक्ता हर न्यूज़ चैनल पर ऐसे व्यवहार कर रहें हैं, जैसे उनकी रोज़ी रोटी बंद हो गयी हो. फिर भी भारत ने इस आर्थिक युद्ध के साथ-साथ चीन को अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी किरकरी कराने में लगभग कामयाबी हासिल कर ली है.
भारत को अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड नेशंस में कई देशों का समर्थन हासिल हो चूका हैं. आपको पता होगा की 29 जून 2020 में ‘बलूच लिबरेशन आर्मी’ के लोगों ने पाकिस्तान की स्टॉक एक्सचेंज पर आतंकी हमला कर दिया था. इसके ऊपर UNSC के ड्राफ्ट प्रेस स्टेटमेंट को चीन द्वारा लिखा गया और फिर अमेरिका और जर्मनी के हस्ताक्षरों के बाद इसे सार्वजानिक किया जाना था.
पहले तो जर्मनी ने इस ब्यान पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया फिर उसके बाद अमेरिका ने भी मना कर दिया. दरअसल पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और प्रधानमंत्री इमरान खान ने सीधे तौर पर इस हमले के पीछे भारत का हाथ बता दिया था. इसी वजह से अमेरिका और जर्मनी का चीन द्वारा लिखे ब्यान को तव्जों न देना ज्यादा मायने रखता हैं.
जिस तरह से भारत ने चीनी सैनिको की कायराना हरकत के चलते अपने 20 सैनिकों की शहादत का बदला चीन के 43 सैनिक मार कर बदला पूरा किया था. इससे पूरी दुनिया को साफ़ सन्देश दिया गया था की भारत अब पहले जैसा नहीं रहा और अब वह अपनी एक इंच जमीन भी खोने नहीं देगा.
Good to see India ban 59 popular apps owned by Chinese firms, including TikTok, which counts India as one of its largest markets. India is continuing to show it won’t back down from China’s aggression. https://t.co/vf3i3CmS0d
— Nikki Haley (@NikkiHaley) July 1, 2020
भारत द्वारा 59 चीनी ऐप्प पर प्रतिबन्ध लगाए जाने पर संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत रहीं निक्की हेली ने भी ब्यान दिया है जो की भारत के पक्ष में ही हैं. उन्होंने कहा है की, “भारत TikTok का सबसे बड़ा बाजार था और सरकार ने 59 चीनी एप्स को प्रतिबंधित करके एकदम सही क़दम उठाया है. भारत लगातार ये दिखा रहा है कि वो चीन की आक्रामकता के आगे झुकने वालों में से नहीं है.”
आपको बता दें की प्रतिबन्ध की गयी इन ऐप्प्स को लेकर भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका भी परेशान हैं. इसी को लेकर अमेरिका के स्टेट सेक्रेटरी माइक पोम्पियो ने भारत के इस निर्णय का स्वागत करते हुए इन ऐप्प्स को चीनी सरकार के ख़ुफ़िया तंत्र का एक हिस्सा बता दिया हैं. अमेरिका के स्टेट सेक्रेटरी माइक पोम्पियो ने ही यूरोप के देशों से अमेरिकी सेना को हटाकर चीन के पड़ोसी देशों में तैनात करने की बात की थी.
एक तरफ जहाँ चीन इस वक़्त आर्थिक युद्ध और बॉर्डर पर चल रही परेशानियों से जूझ रहा हैं वहीं अब कुछ देशों ने हॉन्गकॉन्ग में चल रहे दंगों पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. दरअसल हॉन्गकॉन्ग के लोग अब चीन से आज़ादी चाहते हैं और इसी को लेकर चीन हालात न बिगड़े इसलिए अलग-अलग कानून भी बनाता हैं. यह कानून हॉन्गकॉन्ग में रहने वाले लोगों के पक्ष नहीं होते जिस वजह से वह समय-समय पर चीन से अलग होने की मांग उठती रहती हैं.
अब इसी को लेकर ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने साफ़ कर दिया हैं की हॉन्गकॉन्ग के लोगों को वह अपने देश में ‘टेम्पररी प्रोटेक्शन वीजा’ के कानून के आधार पर शरण देंगे. इसका एक बड़ा कारण यह हैं की चीन ने अपने नए कानून “नेशनल सिक्योरिटी लॉ” को हांगकांग पर थोपने के लिए वहां के लेजिस्लेटिव काउंसिल को बाईपास कर दिया हैं.
#Breaking | India has raised the issue of Hong Kong & says it is ' keeping a close watch'.
TIMES NOW's Srinjoy Chowdhury with details. pic.twitter.com/eXqIGq5Rw7
— TIMES NOW (@TimesNow) July 2, 2020
अब भारत ने भी हॉन्गकॉन्ग के विषय पर चीन को जेनेवा में यूएन मानवाधिकार काउंसिल में घसीट लिया हैं. भारत ने ब्यान देते हुए कहा हैं की, “हॉन्गकॉन्ग स्पेशल एडमिनिस्ट्रेशन रीजन ऑफ़ चाइना में चल रहे घटनाक्रम पर भारत की नज़र है क्योंकि वहाँ बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं. वहाँ जो भी हो रहा है, उस पर सभी द्वारा जाहिर की जा रही चिंताओं को भारत सुन रहा है.”
कुल मिलाकर आप कह सकते हैं की जिस प्रकार से भारत ने भारत ने अपने कूटनीतिक रणनीतियों से पाकिस्तान को पूरी दुनिया से अलग कर दिया था, वैसे ही पाकिस्तान के आक़ा यानी चीन को अब भारत पूरी दुनिया से अलग करने की तैयारी कर चूका हैं. यही कारण हैं की भारत और तमाम दुनिया के देश जहाँ चीन से युद्ध की तैयारियों के लिए जुटे हुए हैं. वहीं वह चीन को आर्थिक मोर्चे पर भी कमजोर करने का प्रयास कर रहें हैं.
- 2.2KShares
- 2.2KShares